राजाओ से युद्ध कैसे होता था || राजाओं को दर्दनाक वाली कहानी खौफनाक मौत आज हिंदी में || Horrible death story of the world | HINDI STORY

दुनिया की दर्दनाक वाली कहानी खौफनाक मौत||Horrible death story of the world || मौत होने के बाद भूत बनता देखे हैं बहुत ही दर्दनाक आज दास्तान आज कहानी बताने वाला हूं




आज जो कहानी बताने जा रहा हु सायद आप नहीं सुने होंगे | यह एक प्रकार का कहानी है जो आप हमारे जरिये पढ़ने बाले हैं || यह कहानी का  प्रारूप कई बातो से मिल कर बना है आज में अपने ब्लोग्स के माध्यम से दुनिया की दर्दनाक वाली कहानी खौफनाक मौत||Horrible death story of the world || मौत होने के बाद भूत बनता देखे हैं बहुत ही दर्दनाक आज दास्तान आज कहानी बताने वाला हूं

कहानी का पहला शीर्ष

यह कहानी एक प्रभाव साली शक्ति साली राजाओं पर आधारित है जो केवल प्रजाओं के प्रति समर्पित रहत था वाही राजा कहलाता था लेकिन आप इतिहास देखें होंगे उस समय के राजाओं को कुर्सी अथवा सिंहासन बचाना मुस्किल हो जाता था 
कहानी का दूसरा शीर्ष

भानु प्रताप नामक एक राजा था  वह अपने सिंघासन पर करीब 10 बर्षों से  राज कर रहा था अपने प्रजा के लिए हमेसा जो एक राजा का  कर्त्यव होता है वह निभाते आ रहे थे  प्रजा का भी कहना था यह राजा नहीं ये हमारे भगवान के रूप में मिला है प्रजा बहुत खुश रह रहे थे राजा का एक पुजनिये दरवान रहता था बैसे राजा का कहना था ये हमारा दरवान या रखरखव करने बाला सैनिक नहीं कहेंगे ये रामू हमारा भाई जैसा है जी राजा का सबसे प्रिये रामू ही था 


रामू के बारे में जान लीजिये 

रामू कई राजाओं का सैनिक रहा था और ये राजा रामू का अंतिम राजा था रामू बैसे विद्वान सैनिक था इसे पहले रामू सैनिक के पद पर काम कर रहा था भानु प्रताप से रामू का मिलाना पहली वार राजाओं के लिए  एक आयोजन
कराया जाता था और सभी राजा एक जुट होते थे और सभी राजाओं अपने प्रतिभा दिखाते थे उसी में रामू अपने राजा के तरफ से विद्वानता सवित किया वहां बैठे सभी राजा रामू की तारीफ करने लगे लेकिन भानु प्रताप खुश नहीं दिख रहे थे इतने में रामू देखा की एक कोई राजा है जो हमारे प्रतिभा से खुश नहीं है रामू भानु प्रताप के सामने आया और कहने लगा महा महिम आप हमारे प्रतिभा से खुश  नहीं लग रहे है क्या बता अगर हम से कोई गलती हुई है आप सलाह दे सकते है राजा भानु प्रताप कहते है रामू आप मुझे कुछ दे सकते है रामू कहता है हुजुर ये आप क्या कह रहे है आप एक राजा हैं हजारों प्रजा को देते हैं हम तो केवल एक तुक्ष सैनिक हैं महाराज राजा नहीं रामू कुछ है जो मेरे पास नहीं है सभी राजाओं जैसे रामू बोला क्या नहीं है  महाराज  राजा बोला तुम्हारे जैसे होनहार और प्रतिभा साली सैनिक नहीं है राजा बोला क्या तुम हमारा सैनिक बनोगे अकेला प्रजा को देख नहीं प् रहे हैं अथवा सेवा कर प् रहे हैं इस तरह से रामू भानु प्रताप के सेवक के रूप में काम करने लगा 


कहानी 2
राजा के राज्य में किसी गाँव में प्रजा के घर में चोरी हो जाता है यह खावर राजा भानु प्रताप को पता चलता है राजा देर न करते हुए रामू को आदेश देता है रामू जिस प्रजा के घर में चोरी हुआ है उसे जल्द से जल्द मेरे दरवार में बुलाया जाय   रामू अपने साथी के साथ उस गरीब प्रजा के पास पंहुचा और बोला आप को राजा बुला रहे हैं वैसे प्रजा भी रोते बिलखते राजा के पास ही आ रहा था प्रजा राजा के पास पहुंचा प्रजा बोला हुजुर  रात को  कुछ चोर आये थे सारा सामान ले गया   राजा बोला कोई बात नहीं प्रजा बोला महाराज मेरे पास कुछ भी खाने का नहीं है राजा ठीक रामू कुछ दिन के लिए एक बीघा जमीन दे दो रामू बोला जी महाराज   और पता  करो जो चोरी किया है   वह कहाँ छुपा है जल्द से जल्द पकड़ा जाय रामू जी महाराज  


अच्छा भानु प्रताप के तिन पुत्रियाँ और दो पुत्र पुत्री दोनों पुत्रों से बड़ा था जो पुत्री में सबसे बड़ी थी उसका नाम था मुन्नी बाकि पुत्री दोनों पुत्रों se छोटा था जो बड़े पुत्र था वो था वाहू प्रताप      लेकिन सब ऊम्र में छोटे थे भानु प्रताप की दूसरी पत्नी कलावती थी                                                                                                                                                                                    कलावती के दो भाई बुक्का और नाथन  था जो राजा के ही घर में रहता था
KALAVATI MAHARANI


 करता कुछ नहीं था बस सर्यंत्र रचता था   एक दिन फिर राजा के पास प्रजा आता है और कहता है महाराज हमारे घर में चोरी हो गया प्रजा रोते हुए कहता हुजुर खाने का कुछ नहीं राजा उसे भी एक बीघा जमीन करने को दे देता है इसी तरह से सभी प्रजा के घर में चोरी  होने लगा और राजा एक एक बीघा जमीन सभी को देने लगा एक दिन राजा को लगा हमारे ही राज में चोरी कैसे हो  रहा है राजा  रामू को बुलाता है और कहता रामू  अपने ही राज्य में चोरी कैसे हो रहा है रामू बोला हां हुजुर अपने ही राज्य में रामू कुछ करना होगा महाराज  वर्ना सभी जमीन आप को प्रजा को देना पड़ जायेगा हां रामू सच कहा तो क्या करें राजा रामू तुम ही कुछ सोचो रामू मन ही  मन ही कहता है क्या कहें महाराज को राजा कुछ सोच रहा रामू नहीं महाराज 
रामू जनता था चोरी कोण करवा रहा है फिर भी रामू राजा साहव को नहीं बता रहा था 
इसका कारन था महारानी आगे पढ़िए रामू को जब राजा कहा था की जो चोरी किया है उस चोर को पकड़ा जाए उसी समय रामू को पता चला था चोर कही नहीं है राजा साहव के घर बाले ही चोरी करावा रहा था इस बात को रामू कहता है महारानी से महारानी आप का बुक्का और नाथन दोनों भाई महाराज से छल कर रहे है कैसे रामू  महारानी जब राजा साहव मुझे चोर पकड़ने का आदेश दिया था उसी बक्त हम सैनिक के साथ राज्य के सभी कोनो में घूम रहे थे उसी बक्त आप के देनो भाई को देखा और हम पीछा करने लगे तब पता चला प्रजा के यहाँ कोई चोरी  नहीं होती थी आप के दोनों भाई प्रजा को लोभ देखर प्रजा को कहता था राजा साहव जो भी जमीन तुम लोगों को देगा उसका  एक हिस्सा तुम  लोगों  को देंगे महारानी रामू से कहता रामू इस बात को महाराज के पास नहीं जाना चाहिए वर्ना बहुत अनर्थ हो जायेगा रामू हम दोनों भाई को समझा देंगे रामू कहा जी महारानी 


इधर बुक्का और नाथन इस हद तक पहुच गया था  सायद अब रुकने बाले नहीं था 
बुक्का और नाथन जो राजा साहव के दिए गए जमीन जो प्रजा को चोरी के नाम पर दिया जाता था उसी का जमीन का तिन हिस्सा का उपज बुक्का और नाथन प्रजा से बसूली करता था इसी प्रकार बुक्का और नाथन दोनों भाई काफी अमीर बन गए यही नहीं रुका दोनों भाई अच्छा खासा सैनिक खड़ा कर दिया बस अब था सिघासन ले ने की  सपना 

लेकिन राजा भी कहाँ कम था 

राजा डंका पिटते यह घोसना किया जो कोई चोर को पकड़ेगा उसे उपहार में पांच बीघा जमीन और एक तोला सोना दिया जायेगा यह सुनते सभी प्रजा गुनगुनाने लगा सभी प्रजा भी जनता था की चोर कोण है लेकिन प्रजा राजा से  बताने से डर रहा था 
इतने में प्रजा से ही एक व्यक्ति हिमत जुटाते राजा के पास गया और बताने लगा राजा साहव जो आप के sale साहव हैं वाही चोरी करवा रहा था जब राजा इस बात को सुनता है तो क्रोध में आकार रामू को कहता बुक्का और नाथन को हमारे समीप बुलाया जाए रामू जी महाराज 
रामू सबसे पहले यह सूचना रानी को सूचित करता है इसके बाद रानी तुरंत राजा को मानाने लगता है रानी कहता है  महाराज मेरे दोनों भाई को छमा कर दें हमारे सिवाय दुनिया में कौन  है  इसका राजा कहता है रानी ये कोई छोटा सा छल नहीं है मेरे साथ ये बहुत बड़ा छल  है महारानी फिर भी रानी राजा को मानाने लगा वैसे राजा बहुत दयालु थे 


बुक्का और नाथन को राजा से माफ़ी माँगा और राजा माफ़ कर दिया 
फिर कुछ दिन तक ठीक हो गया इसके बाद बुक्का और नाथन इस बात को नहीं भूले थे एक दिन अचानक महारानी के के पास बुक्का और नाथन आता है और कहता दीदी आप को कुछ दिखाना चाहते है रानी बोली ऐसा क्या है जो मुझे दिखाना चाहता बुक्का और नाथन बोला आप ही सबसे पहले देखेंगे रानी बोली ठीक है चलो बुक्का बोला इक सर्त है  जीजा जी को नहीं बताएँगे और न रामू को रानी बोला ठीक है चलो
महारानी जाने से पहले अपने बच्चा से बोला अगर पापा पूछे तो बताना मंदिर गएँ है फिर क्या बुक्का और नाथन तो आपस आ गए लेकिन रानी आपस नहीं आया देखते ही रात हो गया महाराज बहुत चिंतित करने लगा महाराज  बुक्का और नाथन को बुलाता है और पूछता है आप की दीदी सुबह से रात होने बाला है कहीं नहीं दिख रहा है बुक्का और नाथन बोला महाराज मुझे भी सुबह  से दीदी नहीं मिली है पता नहीं कहाँ गई है ठीक है महाराज हम खोजते है 
रामू किसी काम से दुसरे राज्य गया था जब रामू को पता चला की महारानी सीतला पहाड़ी के खाड़ी में गिर कर मैत हो गया है सुनते ही रामू वहां से चल पड़ा और राजा को भी पता चल गया था की रानी की मौत हो गया है 
रानी की मौत के बाद राजा पूरी तरह से टूट गया यानि राज्य भिखर गया राज्य चलाने की सकती नहीं रहा राजा के पास रामू पूछा  महाराज ये सब कैसे हो गया राजा पता नहीं रामू 

कुछ दिन का बात है राजा बहुत कमजोर पड़ गए थे और बुक्का और नाथन ko  कहा राजा की अब मेरे से नहीं चलाया जायेगा राज पाठ इसी लिए सभी प्रजा को बुलाया जाये बुक्का और नाथन खुश होते हुए सभी प्रजा को बुलाता है 


बुक्का और नाथन को लगता है राजा साहव हम दोनों भाई को सिंघासन सौंप देगा बहुत खुश थे 
अब बारी आ गया था उतरा धिकारी चुनने का राजा घोसना करते हुए रामू को अपना अधिकार सौंप देता है 
लेकिन रामू कहता है महाराज मैं अधिकार नहीं ले सकता क्योंकि आप के दोनों पुत्र भी  मेरे राजा है आप ये अधिकार बड़े पुत्र को दे दीजिये हम तो सैनिक हैं महाराज हमारा कर्त्यव है राजा का सेवा करना ये हम से मेरा हक़ मत छिनिये राजा बोला वो अभी छोट्टा है राज्य नहीं चला पायेगा कोई नहीं महाराज वो सब हम पे छोड़ दीजिये
 राजा अपने बड़े पुत्र बाहू प्रताप को तिलक लगाकर सिंघासन सौंप दिया जब इतना हुआ दोनों भाई क्रोध में आगये और वहां से लौट गया फिर क्या कुछ दिन के बाद बुक्का और नाथन अपने सेना के साथ राजा पर हमला कर दिया 
हमला में रामू बहुत हद तक लड़ाई  किया  जब राजा को बहुत बुरी तरह से  मार दिया जाता है तो रामू टूट जाता है बिखर जाता है किसी तरह से वाहू प्रताप को रामू भागने में कामयाब हो जाता है रामू को यही लगता है अगर हमारा राजा जीवित रहता है तो दुबारा सिंघासन ले सकते है इसीलिए रामू राजा को अपने साथ कहीं  ले चला जाता है  
इस कहानी से यही पता चलता है बुक्का और नाथन ये दोनों सही इन्शान नहीं था

 


  निष्कर्स :-    ये कहानी आप को कैसा लगा जरुर कमेंट कीजियेगा इस कहानी का उपदेश यही है आप लोगों का मनोरजन करना और ये कहानी भी यह बताता  है शुरु से लोग छल करते आ रहे हैं बहुत मेहनत है ताकि आप खुश हो सकें 

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